मकनपुर मदार के मेला में कब सम्मान पाएगी अबला




दरगाह के बाहर बैठकर दुआ करतीं महिलाएं
दरगाह में महिलाओं की आमद पर है मनाही 
  हसीनाओं के ठुमकों से मेले में बढ़ रहा आकर्षण
छह सौ वर्ष से सिर्फ पुरुष कर रहे रश्म अदायगी
अंदर जाने मना करने पर बाहर इबादत करती औरतें 
 महिला जायरीनों को दरगाह चैखट कदम रखने तक की रोक
राहुल त्रिपाठी
बिल्हौर। बद्दउदीन जिंदाशाह मदार का रहम देश-दुनिया में किसी से छिपा नहीं है, इतिहासकारों के अनुसार मदार साहब ने अपने जीवन में बिना किसी भेदभाव के फकीर रहते हुए सबका भला किया, इसकी मिसालें देते अब भी लोग नहीं थक रहे, लेकिन रूढ़वादी पुरानी रश्म अदागयी के कारण करीब 650 बरस भी महिलाएं मदार साहब की दरगाह के अंदर जाकर उनके दीदार से पूरी तरह अछूती और पाबंद हैं। वहीं दूसरी ओर रोज शबाब पर चढ़ रहे मेले में बंबई, दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता से आईं हुनरमंछ डांसर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
देश के इतिहास में मकनपुर का शिजरा करीब 650 वर्ष पुराना हैं। सीरिया से आए मदार साहब ने मकनपुर में रहकर बिना किसी भेदभाव के लोगों की भलाई के वह सभी काम किए जो अल्हा-ईश्वर करते हैं। यहीं कारण है कि मदार साहब के मुरीद भारत सहित पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईराक, ईरान समेत कई खाड़ी देशों में रहते हुए समय-समय पर हाजिरी देने  मकनपुर आते रहते हैं। मदार साहब की दरगाह में महिलाओं के जाने पर कब से प्रतिबंध लगा इसको लेकर कई तर्क-कुर्तक देने वाले हजरातों की लंबी फेहरिस्त है। पुरानी रश्म होने के कारण आज भी मदार साहब के मुख्य भवन के दायरे में किसी भी बच्ची, युवती और महिला का जाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसकारण देश-प्रदेश के कोने-कोने से आने वाली महिलाएं मदार साहब की चैखट दूर ही माथा टेककर घर-परिवार के लिए दुआं करती दिखाई देती हैं। जबकि मदार साहब कि खिदमत पूरी तरह पुरूषों ने उठा रखी है, दरगाह की पूरी रश्म अदायगी पुरूषों के द्वारा ही सदियों से संपन्न की जा रही है।
मकनपुर शरीफ में महिलाओं के साथ इस तरह की रूढि़वादी परंपरा जुड़ी होने के बाद भी दर्शकों को आकर्षित करने के लिए दूर-दूर र्से आइं देश की बेहतरीन डांसर अपने हुनर से मेला में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। हजारों दर्शक इन डांसरों की कलाकारी देखने लिए उमड़ रहे हैं जबकि बड़ी संख्या में प्रदेश के कई जिलों से आई महिलाएं होटल सहित विविध दुकानें सजाकर मेले की शान बनी हुई है। रश्मों रिवाजों की परवाह किए बगैर दूर के शहरों कसबों से आईं इन महिला कलाकार मदार साहब के खिदमत में चार-चांद लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहीं।
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इस्लाम धर्म में मजार से महिलाओं को 40 कदम दूर रहने का हुक्म है, अशर्फी जौनपुरी ने इसी को ध्यान में रखकर मदार साहब के आसपास चाहरदीवारी का निर्माण कराया है। धर्म में रिवाजों का सबसे बड़ा महत्व होता है। मदार साहब के दुआ के लिए महिलाओं को हरम अव्वल से दुआएं करने की ही अनुमति है।
मुक्तिदा हुसैन जाफरी, प्रधानाचार्य व शोधार्थी
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ताकत आजमाने वाली महिला के पड़े छाले
बिल्हौर। फेयर कमेटी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य मुक्तिदा हुसैन जाफरी ने बतायाकि कई मर्तबा महिलाएं मदार साहब की ताकत आजमाने के लिए दरगाह में प्रवेश कर गई। जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। 1986 में मेला आई गोंडा जिला की एक महिला जबरन अंदर दरगाह में घुसीं अंदर घुसते ही महिला की जांघ में बड़े-बड़े छाले पड़ गए इस वाक्ये को देखने के बाद हजारों जायरीनों में खलबली मच गई। दरगाह के अंदर प्रवेश करने पर कई महिलाओं का आधा शरीर पत्थर का भी हुआ। इसके भी कई सबूत हैं साथ ही पुराने समय में एक महिला मदार साहब के नजदीक चली गई जिससे मदार साहब के श्राप से वह पत्थर हो गई जिसके निशान आज भी मदार साहब के समीप मौजूद हैं। तब से आज तक कोई भी महिला जात अंदर दरगाह में नहीं घुसी।
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जिंदाशाह मदार की दरगाह के बाहर दुआएं करती महिलाएं व बुर्कानशीं



जिंदाशाह मदार की दरगाह के बाहर दुआएं करती महिलाएं व बुर्कानशीं



दरगाह के बार ही मदार साहब की इबादत करती महिलाएं

मदार के मकनपुर उर्स व वार्षिक मेला में सजी पशुओं संबंधी दुकान

मदार के मकनपुर मेला में लोभान की बिक्री करता विक्रेता

मकनपुर मेला के एक आदिकालीन कुएं को देखते लोग

सैयद बद्दीउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह

सैयद बद्दीउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह का मुख्य द्वार

मदार की दर पर बिक्री होते रंग-बिरंगे धागे

सैयद बद्दीउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह पर पहुंचे जायरीन

मदार की दरगाह में अगरबत्ती और लोभान सुलगाते जायरीन

मदार उर्स के दौरान मकनपुर के मुशाफिर खाने ठहरे लोग

मदार उर्स के दौरान मकनपुर के मुशाफिर खाने ठहरे लोग

मदार उर्स के दौरान मकनपुर के मुशाफिर खाने ठहरे लोग

उत्तर प्रदेश के सबसे विशालम घोड़ा मेला मकनपुर में लगी टेंट

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नोटः- उक्त ब्लाग स्थानीय महिला जायरीनों से बातचीत पर आधार हैं, कुछ युवा महिलाएं इसे परंपरा की संज्ञा देती हैं जबकि कई महिलाओं-युवतियों में अलग प्रकार की धारणा हैं। इस लेख का उद्देश्य सिर्फ सूचना देना है, न कि किसी जाति,धर्म, व्यक्त‌ि को ठेस पहुंचना। इस ब्लाग में संशोधन, सुझाव, बदलाव की सदैव गुजाइश है। इस ब्लाग पर कापीराइट भी है।

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