संदेश

सूफी परंपरा के पुरोधा मदार का संदेश वतन से मोहब्बत ही इंसानियत

  सूफी परंपरा के पुरोधा मदार का संदेश वतन से मोहब्बत ही इंसानियत      दुनियां भर में है १४४२ मलंगों के चिल्ले मलंग की हैं ३ लाख ७५ हजार गदिदयां  राहुल त्रिपाठी बिल्हौर।   ३० हजार के आसपास मदारी मलंग मलंग सन्यासी जिंदा शाह मदार के नाम से पूरी दुनियां में फैले हैं। दीन दुनिया के श्क और आराम से परे रहकर इंसानियत के लिए जीवन जीने वाली जमात है मलंगों की। इनका मकसद दुनिया की तमाम उठा-पटक से दूर रहकर मानव को पहले मानवता का पाठ पढ़ाना होता है। आज पूरी दुनियां में इन मलंगों के १४४२ चिल्ले और ३ लाख ७५ हजार गदिदयां हैं। आजीवन बाल न कटवाने, काले वस्त्र पहनने, जंगलों और सुनसान स्थानों पर रहकर इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाले मदारी मलंग चार कुनबों से ताल्लुक रखते हैं। इनमें आशिकान, तालिबान, दीवानगान तथा खादिमान से ही मलंगों की जमात निकलती है। मलंगों के ताजदार मासूम अली शाह के मुताबिक मलंग बनना आसान नहीं है। मलंग उसको बनाया जाता है, जिसकी चाहत इंसानियत के लिए जीवन कुर्बान करना होता है। परिजनों की इच्छा भी इसमें जरूरी होती है। मलंग को तालीम देने के बाद उसस...

हजरत सैयद बदीउद्‌दीन अहमद जिन्दाशाह कुतुबुल मदार रजितालाअन्हा की खानकाह

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  मकनपुर शरीफ विशेषांक   यह मास तहसील बिल्हौर के लोगों के लिए बेहद खास है। मकनपुर शरीफ के इतिहास को याद करते हुए यहां सालाना उर्स/ मेला शुरू हो चुका है। मकनपुर की सरजमी का इतिहास वर्तमान की पीढ ी नही जानती उसके लिए यह बताना जरूरी है कि यह पावन भूमि आजादी की पहली चिंगारी के वीर सपूतों की खाक अपने में दफन किए हुए है। लोग भूल चुके हैं, लेकिन हजरत सैयद बदीउद्‌दीन अहमद जिन्दाशाह कुतुबुल मदार रजितालाअन्हा की खानकाह के चारों ओर फैली मकनपुर की बस्ती में हजरत अबू तालिब उर्फ मजनू शाह मलंग की टूटी-फूटी मजार देखकर गुलजार करते हैं। मजनू शाह मलंग के किस्से अब क्षेत्रवासियों ने भुला दिए हैं। यह मजनूशाह वही है जो जिंदाशाह कुतुबुल मदार से प्रेरणा लेकर १७६० में पहली आजादी की जंग छेड ी थी। उस वक्त ब्रितानी हुकूमत में ऐसा करने में किसी भी राजा ने हिमायत नही की थी। विद्रोही संगठन में उस समय मजनू शाह के संग करीम शाह, रोशनशाह, देवी चौधरानी, भवानी ठाकुर, भवानंद तथा गिरि और शैव संप्रदाय के साधु-सन्यासी थे। ये सब हथियार के तौर पर सोटा और चिमटा का प्रयोग करते थे। मजनूशाह ने शबखून नाम युद्ध...

मकनपुर उर्स में दमदार बेड़ा पार मलंगों ने किया शग्ले धम्माल

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 ईशन नदी में स्नान कर मदार पर चादर चढ़ाई  देश के कोने-कोने से हजारों ने उर्स में की शिरकत जायरीनों के लिए मदारियों ने जगह-जगह सजाए लंगर राहुल त्रिपाठी बिल्हौर। बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार का उर्स शनिवार की रोज पूरे शबाब पर दिखा। देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में छोटे-बड़े-वाहनों और जायरीनों से पूरा मकनपुर कसबा लबालब हो गया। दिन तो दिन पूरी रात ईशन नदी और मदार की दरगाह पर माथा टेकने के लिए जायरीनों का भारी हुजूम उमडऩे से कसबे की गली-गली खचाखच भरी रही। वहीं उर्स के दौरान मकनपुर आने-वाले सभी रास्ते पूरी तरह जाम रहे। मलंगों ने रश्म अदागयी के बाद शग्ले धम्माल कर पूरे उर्स में दमदार बेड़ा पार की गूंज लगाई। मदार साहब के उर्स की तीसरे रोज गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि प्रदेशों के शहरों से करीब दो से तीन हजार छोटे-बड़े वाहनों से मकनपुर कसबा घिरा रहा। वाहनों के आसपास हजारों की संख्या में जायरीन अस्थाई तंबुओं में बारी-बारी से ईशन नदी में स्नान कर मदार पाक की दर पर चादर चढ़ाने और दुआ करने के लिए जाते दिखे। मकनपुर कसबे में हजारों लोगों के उ...

कुरानखानी और फातिया से मदार के उर्स का होगा आगाज

 २५,२६ और २७ को सजेगा मदार का उर्स  हजारों जायरीन मदार की दर पर टेकेंगे माथा  उर्स मेला कमेटी से मदार की दरगाह को करीने की तरह सजाया  दूर-दूर से जायरीनों का आना लगातार जारी मकनपुर मेला के बाद अब उर्स की तैयारियां जोरों पर ---------------------------  बद्दउद्दीन जिंदा शाह मदार का ५९९ वां उर्स की रश्मों अदायगी जुमे के रोज से परवान चढेगी। गुरुवार को हजारों की संख्या में आए जायरीनों ने मदार की दर पर माथा टेक अमन चैन की दुआ की और मेला की सैर की। उर्स मेला कमेटी सदस्यों ने मकनपुर आने वाले लोगों के लिए बेहर इंतजाम के दावे किए हैं। शुक्रवार यानी चांद की १६वीं तारीख को सुबह ११ बजे दादा अरगूनशाह में कुरानखामी और फातिया की रश्म अदायगी होगी। इसके बाद शाम तीन बजे मलंग कश्ती लेकर मदार की दर पर जाएंगे। मदार से लौटकर सज्जादा नाशीन बादशाह मुजीबुल बाकी का तख्तनशी मदार मैदान में तशरीफ फरमाएंगे। जहां मलंग हजरात अपना धम्माल करेंगे। इसके बाद रात में जलसे ईद मिलादुन नबी तकरीर का दौर शुरू होगा। वहीं उर्स मेला में बड़ी संख्या में वाहनों से जायरीनों का आना जारी है। ------------------...

बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार के उर्स की तैयारियां जोरों पर

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मकनपुर मेले में का क्षेत्रीय विधायक ने किया औपचारिक समापन मुंडन के लिए मकनपुर में पड़ेगा टिन शेड राहुल त्रिपाठी की रिपोर्ट एतिहासिक बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह पर संस्कार कराने के लिए आने वाले लोगों की सहूलियत के लिए जल्द ही टिन शेड डलवाया जाएगा। इसके साथ ही मकनपुर आने वाले सभी संपर्क मार्गों को भी दुरुस्त किया जाएगा। मेला पहुंचीं क्षेत्रीय विधायक और राज्यमंत्री ने मेला कमेटी सदस्यों को सम्मानित कर कई घोषणाएं कीं। रविवार को मकनपुर मेला पहुंची बिल्हौर विधानसभा की विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री अरुणा कोरी ने रश्म अदायगी कर उपजिलाधिकारी , तहसीदार और मेला कमेटी को सफल आयोजन पर बधाई दी। साथ ही माघ पूर्णिमा २२ फरवरी को लखनऊ में व्यस्त होने के कारण उन्होंने मकनपुर मेला कमेटी हाल से रविवार को ही औपचारिक रूप से मेला समापन की घोषणा कर दी। अरुणा कोरी ने एतिहासिक पंरपरा को बनाए रखने के लिए मुंडन स्थल पर टिन शेड डलवाने और कई स्थानीय मार्गों को पक्का कराने की घोषणा की। मेला अध्यक्ष, मेला सचिव और मेला कमेटी की ओर से अरुणा कोरी को कई प्रतीक चिंह भेट किए गए। इस दौरान बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं कार...

देवभूमि की जड़ी-बूटी, लोभान मदार की बढ़ा रहे शान

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जायरीनों को रोग मुक्त बनाने के लिए आए दर्जनों बैध हिमालय जंगलों की औषधियांें की मांग मकनपुर में ज्यादा राहुल त्रिपाठी बिल्हौर। बद्उद्दीन जिंदाशाह मदार की दर पर देव भूमि उत्तराखंड सहित हिमालय से कई प्रकार की अनोखी चीजंे भी सजकर जायरीनों के आकर्षक का केंद्र बनी हुई हैं। जड़ी-बूटी सहित कई प्रकार की औषधीय फूल-पत्ती भी मदार साहब के करम से जायरीनों की पुरानी मर्जों को खत्म कर रही हैं। यहीं कारण है कि मकनपुर मेले में दूर-दूर से बैध, हकीमों की कई दुकानें सजी हुई हैं। उपचार करने वाले लोगों की मानें तो वह कई पीढि़यों से मदार की दर पर माथा-टेककर जायरीनों की पुरानी बीमारियों को मिटा रहे हैं। हरिद्वार से आए बैध बुर्जुग गोपाल सिंह ने बताया कि उनके पिता भी मकनपुर आकर लोगों का उपचार किया करते थे। वंश की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए वह भी बीते 30 सालों से मकनपुर आकर मदार साहब की खिदमत में लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनकी दुकान में जड़ी बूटी के माध्यम से कई प्रकार के लाइलाज मर्ज चुटकी में छूमंतर हो जाते हैं हिमालय की बर्फीली पहाडि़यों से चुनी गईं औषधियों से पेट के कई विकार, खाज-खुजली, नजर कम होना, फुडि़यां...

मकनपुर मदार के मेला में कब सम्मान पाएगी अबला

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दरगाह के बाहर बैठकर दुआ करतीं महिलाएं दरगाह में महिलाओं की आमद पर है मनाही    हसीनाओं के ठुमकों से मेले में बढ़ रहा आकर्षण छह सौ वर्ष से सिर्फ पुरुष कर रहे रश्म अदायगी अंदर जाने मना करने पर बाहर इबादत करती औरतें    महिला जायरीनों को दरगाह चैखट कदम रखने तक की रोक राहुल त्रिपाठी बिल्हौर। बद्दउदीन जिंदाशाह मदार का रहम देश-दुनिया में किसी से छिपा नहीं है, इतिहासकारों के अनुसार मदार साहब ने अपने जीवन में बिना किसी भेदभाव के फकीर रहते हुए सबका भला किया, इसकी मिसालें देते अब भी लोग नहीं थक रहे, लेकिन रूढ़वादी पुरानी रश्म अदागयी के कारण करीब 650 बरस भी महिलाएं मदार साहब की दरगाह के अंदर जाकर उनके दीदार से पूरी तरह अछूती और पाबंद हैं। वहीं दूसरी ओर रोज शबाब पर चढ़ रहे मेले में बंबई, दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता से आईं हुनरमंछ डांसर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। देश के इतिहास में मकनपुर का शिजरा करीब 650 वर्ष पुराना हैं। सीरिया से आए मदार साहब ने मकनपुर में रहकर बिना किसी भेदभाव के लोगों की भलाई के वह सभी काम किए जो अल्हा-ईश्वर करते हैं। यहीं कारण है कि मदार साहब के मुरीद...