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2022 में नहीं लगेगा मकनपुर मेला

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  राहुल त्रिपाठी  बिल्हौर उत्तर भारत का सबसे बड़ा घोड़ों का मेला मकनपुर पर इस बार भी नहीं होगा। उप जिलाधिकारी बिल्हौर ने क्षेत्र में बढ़ते कोरोना वायरस संक्रमण और आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मकनपुर मेला न लगाने का निर्णय लिया है।  मकनपुर स्थित मदार साहब की दरगाह इसके बाद से लगातार मेला कमेटी के सदस्यों में मायूसी छाई हुई है, वहीं कई मेला कमेटी के सदस्यों ने कोरोना के बढ़ते प्रकोप देखते हुए इस निर्णय को सही बताया है। "बीते वर्ष 2021 में कोरोना के कारण नहीं लगा था मेला और उर्स" उप जिलाधिकारी बिल्हौर लक्ष्मी एन ने बताया कि कोरोना के बढ़ते मरीजों और तीसरे चरण में बिल्हौर में 20 फरवरी को होने वाले मतदान को देखते हुए मकनपुर मेला न कराने का निर्णय लिया गया है।  2020 में मकनपुर मेला में उमड़े जायरीन   मेला कमेटी के सदस्यों के साथ हुई बैठक में इसका निर्णय लिया गया है। मेला कमेटी के द्वारा कई सदस्यों द्वारा इसबार मेरा लगवाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन चिकित्सकों की सलाह और मुख्य चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर इस बार भी मेला नहीं लगेगा। ...

दुनिया का भ्रमण कर मकनपुर में ठहरे जिंदा शाह मदार

  दुनिया का भ्रमण कर मकनपुर में ठहरे जिंदा शाह मदार  एक बार समुद्र के रास्ते और ६ बार पैदल किया विश्व का भ्रमण RAHUL TRIPATHI बिल्हौर। हिंदुस्तान आने पर मदार साहब ने अजमेर के ख्वाजा से की थी मुलाकात हजरत सैयद बदीउद्दीन  जिंदाशाह कुतबुल मदार ६ बार दुिनयां का भ्रमण कर वापस सीरिया लौट गए थे। पर वह सातवीं बार हिंदुस्तान आए तो मकनपुर में ठिकाना बना लिया। और यहीं के होकर रह गए। इससे पहले जिंदाशाह मदार ने दुनिया का भ्रमण एक बार समुद्र के रास्ते तो ६ बार पैदल किया। चौथी बार हिंदुस्तान आने पर उन्होंने अजमेर में ख्वाजा साहब से मुलाकात की थी। मोहम्मद गजनवी ने जब अजमेर पर १७ वीं बार हमला किया था। उस समय जिंदाशाह मदार अजमेर में मौजूद थे। जानकारी के मुताबिक जिंदाशाह मदार का जन्म २४२ हिजरी में सीरिया के शहर में हुआ था। २८२ हिजरी में जिंदाशाह मदार पहली बार समुद्र के रास्ते गुजरात के खम्माद कसबे में आए थे। यहां कुछ समय रुकने के बाद वापस सीरिया चले गए। इसके बाद ४०४ हिजरी में पैदल सीरिया से अजमेर पहुंचे। यहां दीनी इस्लाम की तालीम देने के बाद वह फिर वापस सीरिया लौट गए...

सूफी परंपरा के पुरोधा मदार का संदेश वतन से मोहब्बत ही इंसानियत

  सूफी परंपरा के पुरोधा मदार का संदेश वतन से मोहब्बत ही इंसानियत      दुनियां भर में है १४४२ मलंगों के चिल्ले मलंग की हैं ३ लाख ७५ हजार गदिदयां  राहुल त्रिपाठी बिल्हौर।   ३० हजार के आसपास मदारी मलंग मलंग सन्यासी जिंदा शाह मदार के नाम से पूरी दुनियां में फैले हैं। दीन दुनिया के श्क और आराम से परे रहकर इंसानियत के लिए जीवन जीने वाली जमात है मलंगों की। इनका मकसद दुनिया की तमाम उठा-पटक से दूर रहकर मानव को पहले मानवता का पाठ पढ़ाना होता है। आज पूरी दुनियां में इन मलंगों के १४४२ चिल्ले और ३ लाख ७५ हजार गदिदयां हैं। आजीवन बाल न कटवाने, काले वस्त्र पहनने, जंगलों और सुनसान स्थानों पर रहकर इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाले मदारी मलंग चार कुनबों से ताल्लुक रखते हैं। इनमें आशिकान, तालिबान, दीवानगान तथा खादिमान से ही मलंगों की जमात निकलती है। मलंगों के ताजदार मासूम अली शाह के मुताबिक मलंग बनना आसान नहीं है। मलंग उसको बनाया जाता है, जिसकी चाहत इंसानियत के लिए जीवन कुर्बान करना होता है। परिजनों की इच्छा भी इसमें जरूरी होती है। मलंग को तालीम देने के बाद उसस...

हजरत सैयद बदीउद्‌दीन अहमद जिन्दाशाह कुतुबुल मदार रजितालाअन्हा की खानकाह

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  मकनपुर शरीफ विशेषांक   यह मास तहसील बिल्हौर के लोगों के लिए बेहद खास है। मकनपुर शरीफ के इतिहास को याद करते हुए यहां सालाना उर्स/ मेला शुरू हो चुका है। मकनपुर की सरजमी का इतिहास वर्तमान की पीढ ी नही जानती उसके लिए यह बताना जरूरी है कि यह पावन भूमि आजादी की पहली चिंगारी के वीर सपूतों की खाक अपने में दफन किए हुए है। लोग भूल चुके हैं, लेकिन हजरत सैयद बदीउद्‌दीन अहमद जिन्दाशाह कुतुबुल मदार रजितालाअन्हा की खानकाह के चारों ओर फैली मकनपुर की बस्ती में हजरत अबू तालिब उर्फ मजनू शाह मलंग की टूटी-फूटी मजार देखकर गुलजार करते हैं। मजनू शाह मलंग के किस्से अब क्षेत्रवासियों ने भुला दिए हैं। यह मजनूशाह वही है जो जिंदाशाह कुतुबुल मदार से प्रेरणा लेकर १७६० में पहली आजादी की जंग छेड ी थी। उस वक्त ब्रितानी हुकूमत में ऐसा करने में किसी भी राजा ने हिमायत नही की थी। विद्रोही संगठन में उस समय मजनू शाह के संग करीम शाह, रोशनशाह, देवी चौधरानी, भवानी ठाकुर, भवानंद तथा गिरि और शैव संप्रदाय के साधु-सन्यासी थे। ये सब हथियार के तौर पर सोटा और चिमटा का प्रयोग करते थे। मजनूशाह ने शबखून नाम युद्ध...

मकनपुर उर्स में दमदार बेड़ा पार मलंगों ने किया शग्ले धम्माल

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 ईशन नदी में स्नान कर मदार पर चादर चढ़ाई  देश के कोने-कोने से हजारों ने उर्स में की शिरकत जायरीनों के लिए मदारियों ने जगह-जगह सजाए लंगर राहुल त्रिपाठी बिल्हौर। बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार का उर्स शनिवार की रोज पूरे शबाब पर दिखा। देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में छोटे-बड़े-वाहनों और जायरीनों से पूरा मकनपुर कसबा लबालब हो गया। दिन तो दिन पूरी रात ईशन नदी और मदार की दरगाह पर माथा टेकने के लिए जायरीनों का भारी हुजूम उमडऩे से कसबे की गली-गली खचाखच भरी रही। वहीं उर्स के दौरान मकनपुर आने-वाले सभी रास्ते पूरी तरह जाम रहे। मलंगों ने रश्म अदागयी के बाद शग्ले धम्माल कर पूरे उर्स में दमदार बेड़ा पार की गूंज लगाई। मदार साहब के उर्स की तीसरे रोज गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कश्मीर, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि प्रदेशों के शहरों से करीब दो से तीन हजार छोटे-बड़े वाहनों से मकनपुर कसबा घिरा रहा। वाहनों के आसपास हजारों की संख्या में जायरीन अस्थाई तंबुओं में बारी-बारी से ईशन नदी में स्नान कर मदार पाक की दर पर चादर चढ़ाने और दुआ करने के लिए जाते दिखे। मकनपुर कसबे में हजारों लोगों के उ...

कुरानखानी और फातिया से मदार के उर्स का होगा आगाज

 २५,२६ और २७ को सजेगा मदार का उर्स  हजारों जायरीन मदार की दर पर टेकेंगे माथा  उर्स मेला कमेटी से मदार की दरगाह को करीने की तरह सजाया  दूर-दूर से जायरीनों का आना लगातार जारी मकनपुर मेला के बाद अब उर्स की तैयारियां जोरों पर ---------------------------  बद्दउद्दीन जिंदा शाह मदार का ५९९ वां उर्स की रश्मों अदायगी जुमे के रोज से परवान चढेगी। गुरुवार को हजारों की संख्या में आए जायरीनों ने मदार की दर पर माथा टेक अमन चैन की दुआ की और मेला की सैर की। उर्स मेला कमेटी सदस्यों ने मकनपुर आने वाले लोगों के लिए बेहर इंतजाम के दावे किए हैं। शुक्रवार यानी चांद की १६वीं तारीख को सुबह ११ बजे दादा अरगूनशाह में कुरानखामी और फातिया की रश्म अदायगी होगी। इसके बाद शाम तीन बजे मलंग कश्ती लेकर मदार की दर पर जाएंगे। मदार से लौटकर सज्जादा नाशीन बादशाह मुजीबुल बाकी का तख्तनशी मदार मैदान में तशरीफ फरमाएंगे। जहां मलंग हजरात अपना धम्माल करेंगे। इसके बाद रात में जलसे ईद मिलादुन नबी तकरीर का दौर शुरू होगा। वहीं उर्स मेला में बड़ी संख्या में वाहनों से जायरीनों का आना जारी है। ------------------...

बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार के उर्स की तैयारियां जोरों पर

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मकनपुर मेले में का क्षेत्रीय विधायक ने किया औपचारिक समापन मुंडन के लिए मकनपुर में पड़ेगा टिन शेड राहुल त्रिपाठी की रिपोर्ट एतिहासिक बद्दउद्दीन जिंदाशाह मदार की दरगाह पर संस्कार कराने के लिए आने वाले लोगों की सहूलियत के लिए जल्द ही टिन शेड डलवाया जाएगा। इसके साथ ही मकनपुर आने वाले सभी संपर्क मार्गों को भी दुरुस्त किया जाएगा। मेला पहुंचीं क्षेत्रीय विधायक और राज्यमंत्री ने मेला कमेटी सदस्यों को सम्मानित कर कई घोषणाएं कीं। रविवार को मकनपुर मेला पहुंची बिल्हौर विधानसभा की विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री अरुणा कोरी ने रश्म अदायगी कर उपजिलाधिकारी , तहसीदार और मेला कमेटी को सफल आयोजन पर बधाई दी। साथ ही माघ पूर्णिमा २२ फरवरी को लखनऊ में व्यस्त होने के कारण उन्होंने मकनपुर मेला कमेटी हाल से रविवार को ही औपचारिक रूप से मेला समापन की घोषणा कर दी। अरुणा कोरी ने एतिहासिक पंरपरा को बनाए रखने के लिए मुंडन स्थल पर टिन शेड डलवाने और कई स्थानीय मार्गों को पक्का कराने की घोषणा की। मेला अध्यक्ष, मेला सचिव और मेला कमेटी की ओर से अरुणा कोरी को कई प्रतीक चिंह भेट किए गए। इस दौरान बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं कार...